12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूची त्रुटिरहित बनाने का उद्देश्य: विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)

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विशेष गहन पुनरीक्षण
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत अब राज्य सरकारों को भी किसी भी प्रशासनिक फेरबदल के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह कवायद मतदाता सूची को पूरी तरह त्रुटिरहित बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। देश के 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) की घोषणा के साथ ही सोमवार आधी रात से इन सभी क्षेत्रों की मतदाता सूचियाँ फ्रीज कर दी गई हैं।

विशिष्ट गणना प्रपत्र
यदि मतदाता के नाम का मिलान पिछले एसआईआर (2002 से 2004) की सूची से हो जाता है, तो उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह सुविधा उन लोगों के लिए भी है जिनके माता-पिता का नाम पिछली सूची में था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि फ्रीज की गई सूची के प्रत्येक मतदाता को बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) विशिष्ट गणना प्रपत्र वितरित करेंगे। इन प्रपत्रों में वर्तमान मतदाता सूची के सभी आवश्यक विवरण पहले से मौजूद होंगे।

बीएलओ तीन बार घर आएंगे
चुनाव आयोग ने बिहार के अनुभव को देखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि बीएलओ फॉर्मों के मिलान और लिंकिंग के लिए अधिकतम तीन बार घरों का दौरा करेंगे। ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि यदि मतदाता उपलब्ध नहीं होता है या मिलान प्रक्रिया में देरी होती है, तो बीएलओ कुल तीन बार घर आएंगे। बीएलओ न केवल संबंधित राज्य बल्कि पूरे देश की मतदाता सूची की जाँच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि संबंधित व्यक्ति का नाम कहीं और तो नहीं है।

आधार निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं
आधार कार्ड पर स्थिति स्पष्ट करते हुए ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आधार का उपयोग आधार अधिनियम की धारा 9 के अनुसार किया जाए। इस अधिनियम के अनुसार, आधार निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार यह जन्म तिथि का भी प्रमाण नहीं है। उन्होंने बताया कि आधार कार्ड केवल पहचान के प्रमाण के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है, इसलिए इसे 12 दस्तावेजों की सूची में शामिल किया गया है।

नागरिकता के अलग प्रावधान
असम में विशेष गहन पुनरीक्षण लागू न होने के सवाल पर ज्ञानेश कुमार ने बताया कि असम में नागरिकता कानून के तहत नागरिकता के अलग प्रावधान लागू हैं। उन्होंने कहा कि वहाँ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता जांच की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। इसलिए, असम की विशेष परिस्थिति के कारण यह आदेश वहाँ लागू नहीं होता है और इसके लिए अलग से पुनरीक्षण आदेश व तिथि की घोषणा की जाएगी।

12 दस्तावेजों के आधार पर पात्रता
मतदाताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए, आयोग ने ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा भी दी है। यदि किसी मतदाता का नाम या उसके माता-पिता का नाम 2003 की सूची में नहीं था, तो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) आयोग द्वारा तय 12 दस्तावेजों के आधार पर पात्रता निर्धारित करेंगे। यदि किसी के पास इन तय दस्तावेजों के अलावा भी कोई वैध दस्तावेज है, तो आयोग उसे भी मान्य करेगा।

राजनीतिक दलों के साथ बैठकें
सीईओ करेंगे राजनीतिक दलों के साथ बैठकें यह कदम हर नागरिक की मतदान तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। भीड़भाड़ से बचने और सुचारू मतदान सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने यह भी निर्णय लिया है कि किसी भी मतदान केंद्र पर 1,200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त, ऊँची इमारतों, गेटेड कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की सुविधा के लिए नए मतदान केंद्र बनाए जाएँगे।

ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) राजनीतिक दलों के साथ बैठकें करेंगे और उन्हें एसआईआर प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने और राजनीतिक दलों को प्रक्रिया में विश्वास दिलाने के लिए आवश्यक है। बीएलओ का यह दायित्व होगा कि वे पूरे देश की सूची की जांच करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी व्यक्ति का नाम एक से अधिक मतदाता सूची में दर्ज न हो।

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