200 करोड़ का जमीन घोटाला, बिल्डर ने खपाई काली कमाई: अधिकारी फंसे
अरबों रुपये की बेनामी जमीन
उत्तर प्रदेश के स्टेट जीएसटी विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है, जहाँ करीब 50 अधिकारी अरबों रुपये की बेनामी जमीन खरीदने के मामले में फंस गए हैं। शुरुआती जाँच में ₹200 करोड़ रुपये से अधिक की नामी और बेनामी जमीन खरीदने के दस्तावेज मिले हैं। इस अवैध कमाई की अधिकांश रकम को मोहनलालगंज क्षेत्र में एक चर्चित बिल्डर के माध्यम से खपाया गया है। इस सनसनीखेज खुलासे ने पूरे विभाग में हड़कंप मचा दिया है और उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश स्टेट जीएसटी
यूपी स्टेट जीएसटी के लगभग 50 अधिकारी अरबों की जमीन खरीद मामले में फँस गए हैं, जिनमें से 11 अधिकारियों के पास करोड़ों रुपये की जमीन के कागजात मिल चुके हैं। यह रकम मुख्य रूप से मोहनलालगंज तहसील की जमीनों में लगाई गई है, जिसका खुलासा प्रारंभिक जाँच में ₹200 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति के रूप में हुआ है।
मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड
जमीन खरीद की अधिकांश रकम लखनऊ के मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड के इलाकों में निवेश की गई है। इस घोटाले का यह सिलसिला 2020 से 2023 के बीच सबसे अधिक चला, जिसे विभागीय सूत्रों ने 'कुबेर काल' बताया है। यह मामला तब खुला जब अवध के एक जिले के बिल्डर द्वारा करोड़ों की जमीन खरीद की शिकायत शासन तक पहुँची।
अधिकतर अधिकारी सचल दल और एसआईबी
जाँच में पता चला है कि इस बिल्डर के प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले अधिकतर अधिकारी सचल दल और एसआईबी (विशेष जाँच विंग) में तैनात थे या रह चुके हैं। ये वही अधिकारी हैं, जिन्हें कोरोना काल के दौरान तीन से पाँच वर्ष तक गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे मलाईदार जिलों में पोस्टिंग मिली, जिससे उन्होंने अत्यधिक अवैध धन जमा किया और उसे बिल्डर के माध्यम से जमीन में निवेश कर दिया।
नंबर दो की कमाई
मोहनलालगंज में रकम खपाने वाला चर्चित बिल्डर बताया जा रहा है। उच्चाधिकारी के माध्यम से बिल्डर ने जीएसटी विभाग में अपनी पैठ बनाई और अधिकारियों को उनकी नंबर दो की कमाई को जमीन में खपाने का खुला प्रस्ताव दिया था। इस साँठ-गाँठ ने ही बेनामी संपत्तियों के इस बड़े जाल को जन्म दिया।
रजिस्ट्री ऑफिस से पंजीकरण
शिकायत सही पाए जाने पर शासन ने रजिस्ट्री ऑफिस से पंजीकरण प्रपत्रों की प्रतियाँ लेकर गहन जाँच के आदेश दिए हैं। इस मामले में सहायक आयुक्त से लेकर अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं, जिनकी तैनाती सहारनपुर, लखनऊ, आजमगढ़ सहित 10 जिलों में है। यह जाँच भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई का संकेत देती है और पूरे जीएसटी विभाग में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
























