सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को फटकार लगाई है क्योंकि उसने विदेशी घोषित किए गए लोगों के निर्वासन में देरी की और उन्हें लंबे समय तक हिरासत केंद्रों में रखा। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने राज्य सरकार से सख्त लहजे में पूछा, "क्या आप किसी खास समय का इंतजार कर रहे हैं?"
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि किसी को भी अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के उस तर्क पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि निर्वासन इसलिए संभव नहीं है क्योंकि प्रवासियों ने अपने विदेशी पते का खुलासा नहीं किया। अदालत ने कहा, "आपने निर्वासन की प्रक्रिया इसलिए शुरू नहीं की क्योंकि उनके पते नहीं मिले। लेकिन यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेजें।"
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को आदेश दिया कि दो सप्ताह के भीतर हिरासत केंद्रों में रखे गए 63 लोगों का निर्वासन शुरू करें और इसका हलफनामा दाखिल करें। इसके अलावा, अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो क्यों नहीं हुआ।
यह मामला असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों के निर्वासन और हिरासत केंद्रों की स्थिति से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि हिरासत में लिए गए लोगों को वापस भेजने के लिए उसने क्या कदम उठाए, लेकिन सरकार ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। इससे अदालत असंतुष्ट हुई।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिखाता है कि असम सरकार इस मुद्दे पर सही कदम नहीं उठा रही। अदालत ने यह भी साफ किया कि संविधान का अनुच्छेद 21 हर व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है।