अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस की पुष्टि: नेग्लेरिया फाउलेरी नामक जीव

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दिमाग खाने वाला अमीबा
नेग्लेरिया फाउलेरी नामक इस घातक एक कोशिकीय जीव के कारण होने वाली बीमारी 'अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' का एक और मामला एर्नाकुलम जिले में सामने आया है। कोच्चि के एक निजी अस्पताल में लक्षद्वीप के एक निवासी को इसी बीमारी के लक्षणों के साथ भर्ती कराया गया, जिसकी बाद में जांच में पुष्टि हो गई। यह नवंबर महीने का पहला मामला है, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता को बढ़ा दिया है, खासकर तब जब पिछले माह इस बीमारी से 12 लोगों की मौत दर्ज की जा चुकी है। केरल राज्य में 'दिमाग खाने वाले अमीबा' के नाम से जाने जाने वाले संक्रमण ने फिर से दहशत पैदा कर दी है।

अत्यंत घातक बीमारी
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब केरल पहले से ही इस दुर्लभ लेकिन अत्यंत घातक बीमारी के प्रकोप का सामना कर रहा है। अक्टूबर में इस संक्रमण की उच्च दर दर्ज की गई थी, जिसमें 65 लोगों में संक्रमण पाया गया था, और इनमें से 12 लोगों की जान चली गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने नए मामले को देखते हुए लोगों को दूषित पानी के स्रोतों से दूर रहने की सख्त सलाह दी है। कोच्चि में लक्षद्वीप के निवासी में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस की पुष्टि हुई है, वह एडापल्ली क्षेत्र में कार्यरत था। एर्नाकुलम जिला चिकित्सा अधिकारी ने इस मामले की आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि फिलहाल मरीज की स्थिति संतोषजनक है और उसका इलाज जारी है।

गर्म और ठहरे हुए पानी
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नेग्लेरिया फाउलेरी नामक एक मुक्त-जीवी अमीबा के कारण होती है, जो मुख्य रूप से गर्म और ठहरे हुए पानी में पाया जाता है। यह बीमारी तब शुरू होती है जब कोई व्यक्ति दूषित तालाबों, नदियों या अन्य जल स्रोतों में नहाते या गोता लगाते समय नाक के ज़रिए इस अमीबा को शरीर में प्रवेश देता है। नाक से यह अमीबा सीधे मस्तिष्क तक पहुँचकर गंभीर संक्रमण पैदा करता है। यह संक्रमण बहुत कम समय में घातक साबित होता है; इसकी वैश्विक मृत्यु दर आमतौर पर 97% से भी अधिक होती है, हालांकि केरल ने सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली के चलते इस दर को काफी कम किया है।

तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी और गर्दन में अकड़न
इस रोग के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य बुखार या फ्लू जैसे होते हैं, जिससे इसकी पहचान मुश्किल हो जाती है। प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के मुख्य लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी और गर्दन में अकड़न शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मरीज मानसिक स्थिति में बदलाव, गंध या स्वाद की गड़बड़ी और रोशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता (फोटोफोबिया) का अनुभव कर सकते हैं। यदि रोग गंभीर हो जाए, तो दौरे पड़ना, याददाश्त कमजोर होना और कोमा की स्थिति भी आ सकती है। लक्षणों की पहचान होते ही तत्काल चिकित्सीय इलाज शुरू करवाना जीवन बचाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

पानी क्लोरिनयुक्त और शुद्ध
स्वास्थ्य विभाग ने स्थिर और दूषित पानी में नहाने या गोता लगाने से पूरी तरह बचने की सलाह दी है। तैराकों और तैरना सीखने वालों को नोज क्लिप का उपयोग करना चाहिए ताकि पानी नाक में प्रवेश न कर सके। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वाटर थीम पार्क और स्विमिंग पूल का पानी नियमित रूप से पूरी तरह से क्लोरिनयुक्त और शुद्ध हो। किसी भी जल स्रोत में नहाते समय, नाक में पानी जाने से बचने का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि यही इस अमीबा के प्रवेश का मुख्य मार्ग है। इस घातक संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक एहतियात बरतना सबसे प्रभावी उपाय है।

जल सुरक्षा और स्वच्छता
केरल में इस बीमारी के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र, राज्य सरकार ने जनता के बीच जल सुरक्षा और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है। चूँकि दूषित, गर्म और ठहरे हुए ताज़े पानी में यह अमीबा पनपता है, इसलिए अशुद्ध जल स्रोतों से चेहरा और मुंह धोने से भी पूरी तरह बचना चाहिए। अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस कोई छूत की बीमारी नहीं है, अर्थात यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है, बल्कि सीधे दूषित पानी के नाक में जाने से होती है। स्वास्थ्य विभाग इस संक्रमण के स्रोत की पहचान करने और इसकी रोकथाम के लिए कड़ी निगरानी रखे हुए है।

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