अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने के आदेश जारी, भारतीयों में चिंता: कनाडा

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कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA)
कनाडा में अवैध रूप से रह रहे हजारों अप्रवासियों पर अब निर्वासन की तलवार लटक गई है। कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) ने 32 हजार अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे उन हजारों भारतीयों, खासकर पंजाबियों की चिंता बढ़ गई है, जिनकी वीजा अवधि समाप्त हो चुकी है। कनाडा की यह कार्रवाई एक बड़ी सफाई अभियान का संकेत है, जहाँ नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। निर्वासन सूची में भारतीय नागरिकों की संख्या सबसे अधिक है, और सात हजार से ज्यादा लोगों को विमान से दिल्ली भेजने की योजना पर विचार चल रहा है।

अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने
कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी के प्रमुख एरिन ओ गॉरमैन ने स्पष्ट किया है कि 32,000 अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने की तैयारी तेजी से चल रही है। यह आंकड़ा कनाडा से भारतीय नागरिकों के जबरन निर्वासन का रिकॉर्ड तोड़ रहा है। चालू वर्ष, यानी 28 जुलाई तक ही 1,891 भारतीयों को देश से निकाला जा चुका है, जो 2024 के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है। 2019 से यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जब यह आंकड़ा केवल 625 था। वर्तमान में, 6,837 भारतीय नागरिक निर्वासन की प्रक्रिया में सबसे ऊपर हैं, जिसके बाद मेक्सिकन और अमेरिकी नागरिकों का नंबर आता है।

पुलिस विभाग की सेवाएं
कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री गैरी आनंदसांगरी ने इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए दावा किया है कि 2024-25 के दौरान 18 हजार विदेशी नागरिकों को निर्वासित किया गया है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 2 हजार ज्यादा है, जो कनाडा के सख्त रुख को दर्शाता है। सरकार अब अवैध अप्रवासियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभाग की सेवाएं भी लेने की तैयारी कर रही है। कनाडा की योजना है कि वह वर्ष के अंत तक निर्वासित किए गए भारतीयों की संख्या को और बढ़ाएगी। यह कदम कनाडा में बढ़ती अप्रवासी विरोधी भावना और देश के आव्रजन प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में उठाया जा रहा है।

इमिग्रेशन एक्सपर्ट
कनाडा में रहकर शिक्षा प्राप्त करने वाले हजारों भारतीय युवाओं के लिए यह स्थिति सबसे गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इमिग्रेशन एक्सपर्ट परविंदर सिंह के अनुसार, इन युवाओं के सिर पर निर्वासन की तलवार लटक रही है क्योंकि उनकी वीजा अवधि बढ़ाई नहीं जा रही है और वर्क वीजा भी समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही, कई युवा स्थायी निवास (PR) के लिए उपयुक्त नंबर तक पहुँच नहीं पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनके पास कनाडा छोड़ने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता। यह संकट उन युवाओं के लिए विशेष रूप से कठिन है जो बेहतर भविष्य की उम्मीद में भारी खर्च कर कनाडा आए थे

बहिष्करण आदेश
इमिग्रेशन एक्सपर्ट पूजा सिंह के अनुसार, कनाडाई आव्रजन नियमों के तहत तीन प्रकार के निष्कासन आदेश (Removal Orders) जारी किए जाते हैं, जिनके अपने अलग नियम हैं। पहला, 'प्रस्थान आदेश' (Departure Order), जिसके लिए व्यक्ति को आदेश प्रभावी होने के 30 दिनों के भीतर कनाडा छोड़ना होता है। यदि व्यक्ति ऐसा नहीं करता, तो 'निर्वासन आदेश' (Deportation Order) जारी होता है, जिसके बाद व्यक्ति एक वर्ष तक कनाडा वापस नहीं लौट सकता। तीसरा और सबसे सख्त है 'बहिष्करण आदेश' (Exclusion Order), जो गलत तरीके से खुद को प्रस्तुत करने पर दिया जाता है, और व्यक्ति को पाँच साल तक कनाडा लौटने की अनुमति नहीं मिलती।

आव्रजन प्रणाली का दुरुपयोग 
निर्वासन की प्रक्रिया में शामिल कुल 30,733 लोगों में से एक बड़ा हिस्सा, यानी 27,103 लोग शरण चाहने वाले (Asylum Seekers) थे। यह दर्शाता है कि कई अप्रवासी अपने अवैध प्रवास को वैध बनाने के लिए शरण दावों का सहारा ले रहे हैं। हालांकि, इस श्रेणी में भी भारतीय नागरिकों की संख्या सबसे बड़ी है। कनाडा सरकार इन शरण दावों की कड़ी जांच कर रही है और झूठे दावे करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई कर रही है, क्योंकि यह भी आव्रजन प्रणाली के दुरुपयोग का एक तरीका बन गया है। इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि कनाडा अब अपनी सीमाओं और आव्रजन नियमों को लेकर कोई ढील देने के मूड में नहीं है।

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