अवैध बदलाव, जांच के घेरे में फिटनेस सर्टिफिकेट: चित्तौड़गढ़

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भीषण बस अग्निकांड
राजस्थान के जैसलमेर में हुए भीषण बस अग्निकांड की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो सिस्टम की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। शुरुआत में शॉर्ट सर्किट की बात सामने आई थी, लेकिन अब जांच का केंद्र बस के अवैध तकनीकी फेरबदल पर आ गया है। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि नियमों के खुले उल्लंघन का परिणाम लग रहा है।

जैसलमेर-जोधपुर हाइवे
यह दर्दनाक हादसा राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार, 14 अक्तूबर को जैसलमेर-जोधपुर हाइवे पर हुआ। जांच में सामने आया है कि हादसे की शिकार बस मूल रूप से नॉन-एसी श्रेणी में चित्तौड़गढ़ में पंजीकृत थी। हालांकि, बस मालिक ने परिवहन नियमों का उल्लंघन करते हुए इसे अवैध रूप से एसी बस में मॉडिफाई करवा दिया था, जो हादसे का संकेत देता है।

चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग
बस का पंजीयन चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग में 1 अक्तूबर को नॉन-एसी के रूप में हुआ था। इससे पहले 21 मई को खरीदी गई बस की बॉडी तैयार होने में तीन महीने लगे थे। दिलचस्प बात यह है कि पंजीयन के महज 14 दिन बाद ही 14 अक्तूबर को यह बस अग्निकांड का शिकार हो गई। जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह ने इसकी पुष्टि की है।

दो अधिकारी निलंबित
मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग के कार्यवाहक डीटीओ और सहायक प्रशासनिक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। यह कदम जांच में सामने आई फिटनेस जांच में भारी लापरवाही और अनियमितता के बाद उठाया गया है।

एंटी करप्शन ब्यूरो
परिवहन अधिकारियों की संलिप्तता और भ्रष्टाचार की संभावना को देखते हुए अब इस पूरे प्रकरण की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) करेगा। एसीबी यह पता लगाएगी कि फिटनेस सर्टिफिकेट किस अधिकारी ने जारी किया और क्या यह प्रक्रिया नियमों के अनुरूप थी। सूत्रों का मानना है कि इस अनियमितता में और भी अधिकारी शामिल हो सकते हैं।

चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर
हादसे के बाद राज्य सरकार के निर्देशों पर चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय का दौरा किया। उन्होंने प्रादेशिक परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक और जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह से पंजीयन दस्तावेजों की गहनता से जांच की। जिलाकलेक्टर  दौरा भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के प्रति प्रशासन की गंभीरता दर्शाता है।

पारदर्शी जांच
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस हादसे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बस नई थी, ऐसे में आग कैसे लगी, यह जानना अत्यंत आवश्यक है। गहलोत ने सरकार से मांग की है कि वह इस हादसे की पारदर्शी जांच कराए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। इस बस त्रासदी ने परिवहन विभाग की खामियों और सड़क सुरक्षा मानकों के उल्लंघन को उजागर किया है। एक नई बस का 14 दिन में ही दुर्घटनाग्रस्त होना देश भर में वाहनों के अवैध मॉडिफिकेशन और संबंधित विभागों की मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इसका असर अब पूरे राज्य के परिवहन व्यवस्था पर होगा।

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