कार्बन डाइऑक्साइड को जमीन में संग्रहीत करने की तैयारी: एनटीपीसी एनर्जी टेक्नोलॉजी रिसर्च अलायंस (NETRA)
भारत के ऊर्जा परिदृश्य
एक बड़ी पहल हुई है, जो देश के कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को मजबूत करती है। देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने झारखंड के पकरी बरवाडीह कोयला खदान में भारत के पहले कार्बन डाइऑक्साइड इंजेक्शन बोरवेल की ड्रिलिंग शुरू कर दी है। यह कदम कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) रोडमैप और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पूरी परियोजना का नेतृत्व एनटीपीसी एनर्जी टेक्नोलॉजी रिसर्च अलायंस (NETRA) की अनुसंधान शाखा कर रही है।
कार्बन डाइऑक्साइड
एनटीपीसी ने बताया कि कंपनी ने देश की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक अहम उपलब्धि हासिल की है। झारखंड स्थित पकरी बरवाडीह कोयला खदान में शुरू किया गया यह बोरवेल लगभग 1,200 मीटर गहराई तक ड्रिल किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और प्रभावी तरीके से कार्बन डाइऑक्साइड को जमीन में स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए आवश्यक भूगर्भीय और भंडारण संबंधी डेटा जमा करना है। यह परियोजना देश में अपनी तरह की पहली पहल है और एनटीपीसी के व्यापक कार्बन कैप्चर और स्टोरेज कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है।
स्वदेशी कार्बन कैप्चर और स्टोरेज तकनीक
इस ड्रिलिंग प्रक्रिया के तहत कई तकनीकी अध्ययन किए जा रहे हैं। इनमें कोर सैंपलिंग करना, मीथेन और पानी के नमूने लेना, भूकंपीय निगरानी (seismic monitoring) और विस्तृत सिमुलेशन अध्ययन शामिल हैं। इन अध्ययनों से यह पता लगाया जाएगा कि चट्टानों की संरचना कार्बन डाइऑक्साइड को स्थायी रूप से संग्रहीत करने के लिए कितनी उपयुक्त है। इस परियोजना का लक्ष्य भारत के ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्रों में आसानी से लागू होने वाली स्वदेशी कार्बन कैप्चर और स्टोरेज तकनीक को तेजी से विकसित करना है, जिससे सतत ऊर्जा समाधानों में एनटीपीसी की नेतृत्वकारी भूमिका और मजबूत होगी।
एनटीपीसी लिमिटेड
वर्तमान में भारत की कुल बिजली जरूरतों का लगभग एक चौथाई हिस्सा एनटीपीसी लिमिटेड कंपनी पूरा करती है, जिसकी स्थापित उत्पादन क्षमता 84 गीगावॉट से अधिक है। कंपनी के पास 13.3 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा सहित 30.90 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है। इस ड्रिलिंग पहल के साथ-साथ, कंपनी ने 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह सब मिलकर भारत के लिए तय किए गए नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक ठोस आधार प्रदान करेगा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगा।
























