किसानों का बड़ा विरोध: पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी
जमीन हड़पने की साजिश
पंजाब में किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के आह्वान पर किसानों और मजदूरों ने राज्यव्यापी मोटरसाइकिल मार्च निकाला है। यह विरोध प्रदर्शन पंजाब सरकार की नई 'लैंड पूलिंग पॉलिसी' के खिलाफ है, जिसे किसान अपनी खेती की जमीन छीनने की साजिश मान रहे हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इस नीति को जल्द वापस नहीं लिया गया, तो वे सरकार को ऐसा करने के लिए मजबूर कर देंगे। यह विरोध केवल किसानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि इससे मजदूरों और ग्रामीण जीवन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है।
किसान मजदूर मोर्चा
किसान मजदूर मोर्चा ने पंजाब सरकार की भूमि पूलिंग नीति का जोरदार विरोध करते हुए पूरे राज्य में मोटरसाइकिल मार्च का आयोजन किया। किसान नेताओं का कहना है कि यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। अमृतसर में विरोध प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि यह नीति किसानों की जमीन हड़पने के लिए लाई गई है। किसान संगठनों का यह भी आरोप है कि सरकार ने बिना किसी सर्वेक्षण या विशेषज्ञ की राय लिए यह नीति बनाई है, जिससे हजारों किसान परिवार तबाह हो जाएंगे।
जमीन का अधिग्रहण प्रति एकड़ ₹50,000 और ₹1 लाख किराया
पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी का उद्देश्य शहरी विकास और औद्योगीकरण के लिए जमीन का अधिग्रहण करना है। इस नीति के तहत, सरकार किसानों से उनकी अविकसित जमीन लेती है और बदले में उन्हें विकसित जमीन का एक हिस्सा देती है। सरकार का दावा है कि इस नीति में संशोधन के बाद किसी भी किसान से जबरन जमीन नहीं ली जाएगी और जो किसान स्वेच्छा से अपनी जमीन देंगे, उन्हें विकसित प्लॉट के अलावा, जब तक विकास कार्य शुरू नहीं होता, तब तक प्रति एकड़ ₹50,000 और फिर ₹1 लाख का किराया दिया जाएगा।
बिल्डर और कॉर्पोरेट घरानों को फायदा
किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार के दावे झूठे हैं और यह नीति दरअसल किसानों की उपजाऊ जमीन हड़पने की एक चाल है। उनका कहना है कि इस नीति से गांवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और 20 हजार से ज्यादा किसान परिवार बेघर हो जाएंगे। इसके अलावा, किसान इस बात से भी चिंतित हैं कि इस नीति से ग्रामीण मजदूर भी बेरोजगार हो जाएंगे। किसानों ने इसे 'पोंजी स्कीम' करार देते हुए कहा है कि सरकार बड़े बिल्डर और कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब कर रही है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नीति किसानों के हित में है और यह किसी भी किसान की जमीन जबरन नहीं लेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। हालांकि, इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार पर कड़ा रुख अपनाया है और इस नीति पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि यह नीति 'जल्दबाजी' में अधिसूचित की गई है और इसमें सामाजिक प्रभाव का आकलन नहीं किया गया है। कोर्ट ने सरकार से 19 अगस्त तक जवाब भी मांगा है।
लूटिंग पॉलिसी का विरोध प्रदर्शन
किसान मजदूर मोर्चा के इस विरोध प्रदर्शन में अब अन्य किसान संगठन और विपक्षी दल भी शामिल हो रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) जैसे संगठन भी विरोध रैलियों में शामिल हैं। इसके अलावा, बीजेपी ने भी इस नीति को 'लूटिंग पॉलिसी' बताया है और इसके खिलाफ गांव-गांव में यात्रा निकालने की तैयारी की है। सरकार के कुछ नेताओं ने भी इस नीति के विरोध में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।
























