खोज ज़िन्दगी की: पानी और मलबे की चुनौती धराली उत्तराखंड

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ग्राउंड जीरो पर जारी संघर्ष
उत्तराखंड के धराली में आई आपदा के बाद, फंसे हुए लोगों को निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन अब पुलिस और अन्य एजेंसियां दूसरे चरण में शवों की तलाश में जुटी हैं। यह खोज अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में चलाया जा रहा है, जहाँ मलबे के नीचे पानी और विशालकाय चट्टानों का सामना करना पड़ रहा है। इस मुश्किल काम में एनडीआरएफ की विशेष टीमें, खोजी कुत्ते (कैडेवर डॉग्स) और आधुनिक ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि लापता लोगों का पता लगाया जा सके।

शव खोजी कुत्तों की सूंघने की क्षमता
धराली के ग्राउंड जीरो पर एनडीआरएफ के विशेष कैडेवर डॉग्स (शव खोजी कुत्ते) लगातार काम कर रहे हैं। इन प्रशिक्षित कुत्तों ने अब तक आठ अलग-अलग जगहों पर मलबे में दबे हुए शवों के होने के संकेत दिए हैं। कुत्तों की सूंघने की क्षमता के आधार पर ही इन जगहों को चिह्नित किया गया है। इन संकेतों के बाद, टीम ने तुरंत खुदाई का काम शुरू किया, लेकिन उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा।

बचाव और खोज कार्यों में मुश्किल
खोजी कुत्तों द्वारा दिए गए संकेतों के बाद जब चिह्नित जगहों पर खुदाई शुरू की गई तो मलबे के नीचे से अचानक पानी निकलने लगा। इस वजह से एनडीआरएफ को तुरंत खुदाई का काम रोकना पड़ा। पानी और दलदल जैसी स्थिति ने बचाव और खोज कार्यों को और भी मुश्किल बना दिया है। इस तरह की बाधाओं के कारण टीम को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा ताकि समय और संसाधनों का सही उपयोग हो सके।

ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर)
पानी की चुनौती को देखते हुए अब ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की मदद ली जा रही है। एनडीआरएफ के डीआईजी गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि यह एक ऐसा उपकरण है जो रेडियो तरंगों पर काम करता है। यह रडार जमीन के भीतर संरचनाओं का पता लगा सकता है। इसकी मदद से यह स्कैन किया जा रहा है कि मलबे के नीचे कहीं कोई भवन या अन्य ढांचा तो नहीं दबा हुआ है। जहाँ से भी सही दिशा में संकेत मिलेंगे, वहीं पर खुदाई का काम फिर से शुरू किया जाएगा।

भारी मशीनरी का उपयोग संभव नहीं
धराली के दुर्गम इलाके में बड़ी मशीनों को पहुंचाना और चलाना भी एक बड़ी चुनौती है। इलाके की भौगोलिक स्थिति और मलबे के ढेर के कारण भारी मशीनरी का उपयोग संभव नहीं हो पा रहा है। इसी कारण अधिकांश खोज और खुदाई का काम मैन्युअल रूप से करना पड़ रहा है। एनडीआरएफ की टीमें पूरे आपदाग्रस्त क्षेत्र को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर काम कर रही हैं, ताकि हर जगह पर ध्यान दिया जा सके और कोई भी संभावित जगह छूटने न पाए।

एनडीआरएफ, पुलिस और अन्य एजेंसियां
आपदा में फंसे लोगों को निकालने के बाद, अब मुख्य ध्यान लापता लोगों के शवों की तलाश और उन्हें निकालने पर है। एनडीआरएफ, पुलिस और अन्य एजेंसियां इस काम में जुटी हुई हैं। स्थानीय लोगों से मिली जानकारियों के आधार पर भी उन जगहों पर खोज की जा रही है, जहाँ वीडियो में लोग भागते हुए नजर आ रहे थे। इस तरह के समन्वित प्रयासों से उम्मीद है कि जल्द ही लापता लोगों के बारे में कुछ जानकारी मिल पाएगी।





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