जहरीली एस्बेस्टस शीट्स को पूरी तरह से हटाकर सुरक्षित विकल्प का आदेश: पर्यावरण कानून

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देश भर के स्कूलों में 
न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने सरकारी और निजी स्कूलों को एक साल के अंदर जहरीली एस्बेस्टस शीट्स को पूरी तरह से हटाकर सुरक्षित विकल्प लगाने का आदेश दिया है। पढ़ने वाले लाखों बच्चों के स्वास्थ्य को सीमेंटेड चद्दर की छत (एस्बेस्टस) से होने वाले खतरे से बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह निर्णय 'सावधानी के सिद्धांत' को अपनाने और बच्चों की सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर आधारित है।

याचिकाकर्ता का एनजीटी में दावा
एस्बेस्टस सीमेंट की छतें टूटने पर सूक्ष्म रेशे हवा में फैलाती हैं। ये हानिकारक रेशे बच्चों के फेफड़ों में जाकर कैंसर और गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। एनजीटी ने भी इस बात पर जोर दिया कि एस्बेस्टस एक खतरनाक केमिकल है और बच्चों के लिए इसके संपर्क का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है। अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट के 2011 के बैन के बावजूद भी देशभर के ज्यादातर स्कूलों में इसका इस्तेमाल जारी है और राज्यों ने इन्हें हटाने की कोई योजना नहीं बनाई है।

सख्त दिशानिर्देश जारी
एनजीटी ने एस्बेस्टस शीट्स को हटाने और रखरखाव के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। पीठ ने आदेश दिया है कि यदि छत की शीट अच्छी स्थिति में है, तो उसे सुरक्षात्मक कोटिंग या पेंट लगाकर सुरक्षित किया जाना चाहिए। यदि वह खराब हो चुकी है, तो उसे तुरंत गीला करके और केवल प्रमाणित विशेषज्ञों की मदद से ही हटाया जाना चाहिए। ऐसा करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हवा में हानिकारक रेशे न फैलें। साथ ही, सभी स्कूल कर्मचारियों को एस्बेस्टस से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में उचित प्रशिक्षण देना अनिवार्य किया गया है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों
ट्रिब्यूनल ने एस्बेस्टस कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर भी विशेष निर्देश दिए हैं क्योंकि यह एक खतरनाक केमिकल अपशिष्ट है। आदेश के अनुसार, एस्बेस्टस कचरे का निपटान केवल सीलबंद कंटेनरों या विशेष बैग में ही किया जाएगा, और इसका परिवहन ढके हुए वाहनों में होना चाहिए जिन पर स्पष्ट रूप से 'एस्बेस्टस कचरा' लिखा हो। कचरे को केवल लाइसेंस प्राप्त खतरनाक अपशिष्ट निपटान स्थलों पर ही डंप करने की अनुमति होगी। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को नियमित निरीक्षण करने और पूरी निपटान प्रक्रिया का रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए गए हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय
एनजीटी ने इस व्यापक कार्य की जिम्मेदारी विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को सौंपी है। शिक्षा मंत्रालय को राज्यों को दिशा-निर्देश देने और फंडिंग का इंतजाम करने का मुख्य काम सौंपा गया है, साथ ही हर तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है। पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी को छह महीने के भीतर वैज्ञानिक साक्ष्यों की समीक्षा करते हुए एस्बेस्टस के उपयोग को बंद करने की नीति और एसओपी तैयार करने के आदेश मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय को एस्बेस्टस से संबंधित बीमारियों की जांच और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए कहा गया है।

सुरक्षात्मक कपड़े और मास्क (पीपीई)
एनजीटी ने स्कूल प्रबंधनों को सख्त चेतावनी दी है कि वे खुद ऑडिट न करें, क्योंकि ऐसा करने पर स्कूल बंद हो सकता है और जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके अलावा, एनजीटी ने एस्बेस्टस हटाने के काम में जुटे श्रमिकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। इसके लिए कार्यस्थलों पर हवा में एस्बेस्टस के स्तर की नियमित निगरानी, सुरक्षात्मक कपड़े और मास्क (पीपीई) का उपयोग तथा स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य किया गया है। न्यायमित्र को प्रगति की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आदेशों का पालन समय पर हो।

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