जीपीएफ पर कर्मचारियों की उम्मीदें टूटीं: ब्याज दरें लगातार स्थिर
केंद्र सरकार
लाखों कर्मचारियों के लिए बचत का एक महत्वपूर्ण जरिया, सामान्य भविष्य निधि (GPF), लगातार छह वर्षों से ब्याज दरों में किसी भी वृद्धि का इंतजार कर रहा है। आर्थिक कार्य विभाग ने अक्टूबर 2025 से दिसंबर 2025 की तिमाही के लिए जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर को 7.1 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है। यह घोषणा उन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक तगड़ा झटका है, जो महंगाई और स्थिर दरों के बीच अपनी बचत को लेकर चिंतित हैं। दरें स्थिर रखने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कर्मचारी लंबे समय से इसमें बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे। वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर से उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
वित्त मंत्रालय
आर्थिक कार्य विभाग ने चालू तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) और उससे मिलते-जुलते अन्य भविष्य निधि योजनाओं की ब्याज दरों का ऐलान कर दिया है। 1 अक्टूबर 2025 से 31 दिसंबर 2025 की अवधि के लिए यह दर 7.1 फीसदी पर यथावत रखी गई है। इससे पहले, 1 जुलाई 2025 से 30 सितंबर 2025 की पिछली तिमाही में भी दर में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इस तरह, पिछले छह वर्षों से यह दर एक ही स्तर पर बनी हुई है। इस निरंतर स्थिरता को केंद्रीय कर्मियों के लिए निराशाजनक माना जा रहा है, क्योंकि उनकी बचत पर मिलने वाला प्रतिफल बाजार की बदलती परिस्थितियों के अनुरूप नहीं बढ़ रहा है।
एनडीए सरकार
सरकारी कर्मचारियों को जीपीएफ की ब्याज दरों में बदलाव की प्रबल उम्मीद थी। खासकर, पिछले वर्षों के अनुभवों को देखते हुए यह अपेक्षा की जा रही थी कि एनडीए सरकार इसमें बढ़ोतरी करेगी। कोविड-19 महामारी के दौरान भी, जब देश दूसरी लहर के कहर का सामना कर रहा था और केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (DA) 18 महीने तक रोका गया था, तब भी जीपीएफ की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। उस वक्त भी दरें 7.1 प्रतिशत ही रखी गई थीं, जो 1 जुलाई 2020 से 30 सितंबर 2020 तक लागू थीं। कर्मचारियों को लगता था कि सरकार रुके हुए डीए और महामारी के आर्थिक दबाव की भरपाई के लिए ब्याज दरें बढ़ाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, जिससे उन्हें मायूसी हाथ लगी।
सामान्य भविष्य निधि
जीपीएफ की यह स्थिर ब्याज दर सिर्फ सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं) पर ही लागू नहीं होती, बल्कि यह कई अन्य संबंधित भविष्य निधि योजनाओं पर भी प्रभावी होती है। इनमें प्रमुख रूप से अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि, और रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि शामिल हैं। जीपीएफ में जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज आमतौर पर बैंकों के मुकाबले अधिक होता है, यही कारण है कि कई कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए जीपीएफ में अपना योगदान शेयर बढ़ा देते हैं। हालांकि, दरों में लगातार स्थिरता के कारण इस बचत की आकर्षण शक्ति कुछ हद तक कम हुई है।
महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा कवच
जीपीएफ कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। जमा की गई यह राशि कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा, विवाह, नया घर बनाने या भूखंड खरीदने, फ्लैट लेने, पुश्तैनी मकान की मरम्मत कराने और होम लोन चुकाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में बहुत उपयोगी साबित होती है। जीपीएफ से राशि निकालने के नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं, लेकिन सामान्यतया कर्मचारी अपनी जमा राशि का 90 फीसदी तक निकाल सकते हैं। यह लचीलापन कर्मचारियों को आपातकालीन या बड़ी वित्तीय जरूरतों के समय एक बड़ा सहारा प्रदान करता है, जिससे उन्हें वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
सुरक्षा और सेवानिवृत्ति बचत योजना
केंद्र सरकार ने जनरल प्रोविडेंट फंड में कर्मचारी के वार्षिक योगदान की सीमा को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया था। नए प्रावधान के तहत, एक वित्तीय वर्ष में जीपीएफ खाते में जमा की जाने वाली कुल राशि 5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती। इस सीमा का निर्धारण इसलिए किया गया था ताकि अत्यधिक वेतन वाले कर्मचारियों द्वारा जीपीएफ को एक उच्च ब्याज वाली कर-मुक्त निवेश योजना के रूप में उपयोग किए जाने पर नियंत्रण लगाया जा सके। यह कदम सुनिश्चित करता है कि जीपीएफ मुख्य रूप से एक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति बचत योजना बनी रहे, न कि उच्च-आय वर्ग के लिए एक असीमित निवेश मार्ग।
























