दार्जिलिंग में कुदरत का कहर भूस्खलन: पर्यटक फंसे
पश्चिम बंगाल
दार्जिलिंग और उसके आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश ने पिछले एक दशक की सबसे भयानक त्रासदी को जन्म दिया है। रविवार को हुए बड़े पैमाने पर भूस्खलन और पुल ढहने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई, जिससे अब तक कम से कम 23 लोगों की जान चली गई है। बच्चों सहित कई लोगों के मारे जाने और सैकड़ों पर्यटकों के दुर्गम क्षेत्रों में फंसने की खबर ने पूरे राज्य में चिंता बढ़ा दी है। यह आपदा 2015 के भूस्खलन की भयावह यादें ताजा करती है, जब इस क्षेत्र में लगभग 40 लोगों की मौत हो
मूसलाधार बारिश
यह भीषण भूस्खलन रविवार को दार्जिलिंग की पहाड़ियों और पड़ोसी जलपाईगुड़ी जिले के कई स्थानों पर हुआ। अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, मिरिक, दार्जिलिंग उपमंडल (जोरेबंगलो, सुकिया पोखरी) और जलपाईगुड़ी के नागराकाटा क्षेत्र में लोगों की मौत हुई है। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र मिरिक रहा, जहाँ 11 लोगों की जान गई और सात घायलों को बचाया गया। लगातार मूसलाधार बारिश इस त्रासदी का मुख्य कारण बनी। यह घटना दुर्गा पूजा और छुट्टियों के बाद के समय में हुई, जब सैकड़ों पर्यटक इन सुरम्य पहाड़ियों में मौजूद थे। इस दशक की सबसे भीषण घटना में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है।
गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन
भीषण बारिश के कारण पहाड़ी ढलानें पूरी तरह से धंस गईं, जिससे कई घर मलबे में समा गए और सड़कें पूरी तरह कट गईं। मिरिक-सुखियापोखरी जैसी कई प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हैं। सिलीगुड़ी को मिरिक-दार्जिलिंग मार्ग से जोड़ने वाला एक लोहे का पुल ढह जाने से क्षेत्र का संपर्क बुरी तरह बाधित हो गया है, जिसने उत्तरी सिक्किम के साथ भी सड़क संपर्क तोड़ दिया है। गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के अनुसार, पूरे क्षेत्र में 35 स्थानों पर भूस्खलन की सूचना मिली है, जिसने संचार लाइनों को भी तोड़ दिया है। यह विनाश 1968 की भयावह बाढ़ की गूँज जैसा है।
राज्य स्तरीय आपदा घोषित
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा बल की टीमें बचाव एवं राहत कार्यों में युद्ध स्तर पर जुटी हैं। नागराकाटा के धार गाँव में मलबे से कई लोगों को बचाया गया है, और प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्च-स्तरीय बैठक के बाद सोमवार (6 अक्टूबर) को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की घोषणा की है। इस बीच, मौसम विभाग ने दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कूचबिहार जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा का रेड/ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिससे और अधिक भूस्खलन और सड़क अवरोधों की चेतावनी दी गई है। सांसद राजू बिष्ट ने इसे राज्य स्तरीय आपदा घोषित करने की मांग की है।
























