पॉश सोसायटियों में भी तालाब बनीं सड़कें: जलभराव से बेहाल गाजियाबाद
जलभराव से बेहाल गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश ने शहर की जल निकासी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। एक ओर जहाँ आम सड़कें जलमग्न हो गईं, वहीं दूसरी ओर पॉश इलाकों और सोसायटियों में भी घुटनों तक पानी भर गया, जिससे करोड़ों के फ्लैट में रहने वाले और लाखों की गाड़ियों में घूमने वाले लोग बुरी तरह प्रभावित हुए।
पॉश सोसायटियों में घुटनों तक पानी
बारिश के बाद सबसे चौंकाने वाला दृश्य पॉश सोसायटियों में देखने को मिला। वसुंधरा, राजनगर एक्सटेंशन, कविनगर और शास्त्रीनगर जैसे इलाकों में सड़कें, पार्क और यहाँ तक कि बेसमेंट भी तालाब में तब्दील हो गए। 23 जुलाई को हुई बारिश के बाद वसुंधरा सेक्टर-11 में एक मर्सिडीज-बेंज जीएलए 200डी कार जलभराव में फंस गई, जिससे उसका इंजन बंद हो गया और मरम्मत पर 5 लाख रुपये का खर्च आया। यह घटना दर्शाती है कि जलभराव की समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, जहाँ महंगी गाड़ियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं।
निवासियों में इस समस्या को लेकर भारी आक्रोश
गाजियाबाद के निवासियों में इस समस्या को लेकर भारी आक्रोश है। वे सवाल उठा रहे हैं कि जब वे नियमित रूप से टैक्स देते हैं, तो उन्हें बुनियादी सुविधाओं से क्यों वंचित रखा जा रहा है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नगर निगम को ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें नालों की नियमित और प्रभावी सफाई, अवैध अतिक्रमण हटाना, और एक मजबूत जल निकासी प्रणाली का विकास शामिल है। इसके साथ ही, भविष्य के शहरीकरण की योजनाओं में जल निकासी के उचित प्रावधानों को प्राथमिकता देना भी आवश्यक है, ताकि गाजियाबाद के निवासियों को हर साल मानसून में होने वाली इस परेशानी से मुक्ति मिल सके।
नगर निगम पर गंभीर आरोप
नगर निगम पर जलभराव की वजह जाम नालियों, सफाई में लापरवाही और अतिक्रमण हटाने में निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है। यह आरोप भी लगाया गया है कि निगम के अधिकारियों ने कई मामलों में अतिक्रमण को बढ़ावा दिया या संरक्षण दिया है। जलभराव के कारण शहर की यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। एनएच-9, जीटी रोड, मेरठ रोड, आंबेडकर रोड और हापुड़ रोड जैसे प्रमुख मार्गों पर लंबी कतारें लग गईं, जिससे लोगों को घंटों जाम में फंसना पड़ा। गौशाला फाटक अंडरपास में 15 फीट तक पानी भर गया, जिससे वह पूरी तरह बंद हो गया और यातायात को वैकल्पिक मार्गों से मोड़ना पड़ा, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई। गाजियाबाद के निवासियों सवाल उठा रहे हैं कि जब वे नियमित रूप से टैक्स देते हैं, तो उन्हें बुनियादी सुविधाओं से क्यों वंचित रखा जा रहा है। नगर निगम के दावों के बावजूद, हर साल मानसून में यह समस्या दोहराई जाती है, जिससे लोगों का विश्वास कम हो रहा है।