बाढ़, भूस्खलन और अवैध पेड़ कटाई पर गंभीर चिंता जताई, राज्यों को नोटिस जारी - सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट
उत्तर भारत के कई राज्यों में आई बाढ़ और भूस्खलन पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चार राज्यों पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीरको नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने की बात कही।

मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई की गई है, और यही आपदा का एक बड़ा कारण हो सकता है। अदालत ने मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हमने हिमाचल प्रदेश के दृश्य देखे, जहां बड़ी संख्या में लकड़ी के गट्ठर बाढ़ में बहते हुए नजर आए।
कोर्ट ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी कर दो हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें उसका जवाब दे रही है। अनियंत्रित पेड़ कटाई के कारण पंजाब में खेत और गांव तबाह हो गए हैं। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर वे पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से भी संवाद स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन वह संतुलित होना चाहिए।

बाढ़ और भूस्खलन 

पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में जलभराव है। इन राज्यों में हुई बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरीके से प्रभावित है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रभावित राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए और ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए उनकी क्या योजना है। प्रभावित राज्यों को  इस पर ठोस जवाब देना ही होगा।

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