भगवान परशुराम ने की थी शिवलिंग की स्थापना, 5000 साल पुराना पुरामहादेव मंदिर

img
पुरामहादेव मंदिर भारत की भूमि अनगिनत प्राचीन मंदिरों और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत है। इन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पुरा गाँव में स्थित परशुरामेश्वर महादेव मंदिर, जिसे 'पुरामहादेव' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर मेरठ से 36 कि.मी व बागपत से 30 कि.मी दूर स्थित है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक जीवंत सिद्धपीठ है, जहाँ युगों-युगों से भक्त अपनी आस्था और श्रद्धा अर्पित करते आ रहे हैं। इस पवित्र स्थल की महिमा केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं, बल्कि देशभर से लाखों शिवभक्त यहाँ आकर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

कांवड़ यात्रा:आस्था का सैलाब हर साल, श्रावण और फाल्गुन के पवित्र महीनों में, लाखों कांवड़ यात्री सैकड़ों किलोमीटर दूर हरिद्वार से गंगा का पवित्र जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए यहाँ पहुँचते हैं। वे इस पवित्र जल से परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई आराधना से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। यह दृश्य स्वयं में अलौकिक होता है, जब केसरिया वस्त्रधारी भक्त 'बम-बम भोले' के जयकारे लगाते हुए मंदिर की ओर बढ़ते हैं।

जमदग्नि ऋषि का आश्रम:  इस मंदिर की नींव अत्यंत प्राचीन काल से जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जिस स्थान पर आज यह मंदिर खड़ा है, कभी वहाँ घना कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में सप्तऋषियों में से एक जमदग्नि ऋषि अपनी धर्मपत्नी रेणुका के साथ अपने आश्रम में निवास करते थे। देवी रेणुका प्रतिदिन पास से बहने वाली पवित्र हिंडन नदी से, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी और हरनन्दी भी कहा गया है, कच्चा घड़ा बनाकर जल लाती थीं और उस जल से भगवान शिव का अभिषेक करती थीं। यह दर्शाता है कि यह स्थान आदिकाल से ही शिव की भक्ति से सिंचित रहा है। यह मंदिर मेरठ से लगभग 36 किमी और बागपत से 30 किमी दूर स्थित है।

शंकराचार्य की तपस्या:रानी लण्डौरा द्वारा पुनरुत्थान सदियों बाद, यह प्राचीन मंदिर खंडहरों में बदल गया था। फिर एक दिन, लण्डौरा की रानी इधर घूमने निकलीं, तो उनका हाथी अचानक एक स्थान पर रुक गया और लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हिला। रानी ने सैनिकों को उस स्थान की खुदाई का आदेश दिया, जहाँ एक अद्भुत शिवलिंग प्रकट हुआ। रानी ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया, जो आज परशुरामेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात है। इसी पवित्र भूमि पर आधुनिक युग के महान संत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी कृष्ण बोध जी महाराज ने भी तपस्या की। उन्हीं की अनुकंपा और प्रेरणा से पुरामहादेव महादेव समिति का गठन किया गया, जो आज इस मंदिर का कुशल संचालन करती है, इस प्राचीन विरासत को सहेजते हुए।

एक शाश्वत विरासत यह मंदिर सदियों की आस्था, त्याग और ईश्वरीय कृपा का जीवंत प्रमाण है। यहाँ आकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं की गहराई को भी महसूस करते हैं। पुरामहादेव महादेव समिति इस मंदिर का कुशल संचालन करती है, इस प्राचीन विरासत को सहेजते हुए।



About Us

न्यूज़ ब्लैक एंड व्हाइट पर आपको देश और दुनिया की ताजा खबरें और महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। न्यूज़ ब्लैक एंड व्हाइट हिंदी भाषा में एक अग्रणी प्लेटफॉर्म है, जहां आप लेटेस्ट न्यूज, ब्रेकिंग न्यूज, पॉलिटिक्स, खेल, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी, लाइफस्टाइल, धर्म, और राशिफल से जुड़ी खबरें पढ़ सकते हैं।

Follow us

Tags Clouds

img