भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, कैलिफोर्निया के तट पर उनके 'स्प्लैशडाउन' के साथ ही देश भर में जश्न का माहौल

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिनों का एक ऐतिहासिक प्रवास सफलतापूर्वक पूरा किया, सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए हैं। कैलिफोर्निया के तट पर उनके 'स्प्लैशडाउन' के साथ ही देश भर में जश्न का माहौल है, खासकर उनके परिवार में, जहाँ माँ की आँखों में अपने बेटे की सकुशल वापसी के बाद खुशी के आँसू छलक उठे। यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणास्रोत है, जो देश को मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर ले जाएगा। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिनों के ऐतिहासिक प्रवास पर थे, सकुशल पृथ्वी पर लौट आए हैं। उनके साथ पूरे क्रू ने भी कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक 'स्प्लैशडाउन' किया। SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने ISS से अनडॉकिंग के लगभग 22.5 घंटे बाद मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग 3:00 बजे यह सफल वापसी की। 

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों के प्रवास के बाद जब ग्रुप कप्तान और क्रू मेंबर्स सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यान से बाहर निकले तो वह क्षण आपार हर्ष और गर्व की अनुभूति का रहा। 

माँ की आँखों में खुशी के आँसू अपने बेटे की सुरक्षित वापसी की खबर मिलते ही ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की माँ, आशा शुक्ला की आँखों में खुशी के आँसू छलक उठे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारा बेटा सुरक्षित लौट आया है और हम उसके लिए भगवान के बहुत आभारी हैं।" लखनऊ में उनका परिवार इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा था और उन्होंने अपने बेटे की सकुशल लैंडिंग के लिए विशेष पूजा-अर्चना भी की थी। यह पल एक माँ के गर्व और राहत को दर्शाता है, जिसने अपने बेटे को एक ऐसे जोखिम भरे मिशन पर भेजा था।

भारत के लिए मील का पत्थर शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं, और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय (राकेश शर्मा के बाद)। 18 दिनों के अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें ISRO के नेतृत्व में सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष कृषि, मांसपेशियों के पुनर्जनन और मानसिक कल्याण पर शोध शामिल थे। उनके इस मिशन को भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य 2027 में पहला स्वतंत्र मानवयुक्त मिशन शुरू करना है।

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