माइन्स मार्किंग की नई मशीन सेना में शामिल: आत्मनिर्भर भारत
मैकेनिकल माइनफील्ड मार्किंग इक्विपमेंट मार्क- II
भारतीय सेना ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित मैकेनिकल माइनफील्ड मार्किंग इक्विपमेंट मार्क- II (MMME Mk-II) को सेना में शामिल किया गया है। यह अत्याधुनिक सिस्टम कम से कम मानव प्रयास से खदान क्षेत्रों को तेजी से चिह्नित और घेरने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट
MMME Mk-II का विकास DRDO की पुणे स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) [R&DE(E)] द्वारा किया गया है और इसका निर्माण BEML द्वारा किया गया है। BEML ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि यह उपलब्धि 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत स्वदेशी नवाचार को आगे बढ़ाने में सशस्त्र बलों, DRDO और BEML की सामूहिक ताकत को दर्शाती है।
MMME Mk-II अर्ध-स्वचालित प्रणाली
MMME Mk-II को रेगिस्तानी, अर्ध-रेगिस्तानी और मैदानी इलाकों में काम करने के लिए बनाया गया है। यह सिस्टम ऑपरेशन की गति में सुधार करता है और मानव प्रयासों को कम करके सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह एक अर्ध-स्वचालित प्रणाली है, जिससे सेना खदान क्षेत्रों को अधिक तेजी और सुरक्षित रूप से चिह्नित कर सकती है।
सिस्टम का तकनीकी विवरण
यह सिस्टम TATRA 6x6 चेसिस पर आधारित है और 10 से 35 मीटर के अंतराल पर पिकट्स लगाने में सक्षम है। यह दस स्पूल से स्वचालित रूप से पीले पॉलीप्रोपाइलीन रस्सियों को खोलता है, जिसमें से प्रत्येक में 1.5 किलोमीटर रस्सी होती है। एक चार सदस्यीय दल एक बार में 500 पिकट्स लगा सकता है, जिससे प्रति घंटे लगभग 1.2 किलोमीटर की बाड़बंदी की जा सकती है।
उन्नत यांत्रिक और विद्युत प्रणालिया
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, MMME को पूरी सामग्री के भार के साथ क्रॉस-कंट्री काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह कम समय और कम जनशक्ति के साथ खदान क्षेत्रों की मार्किंग करता है। यह उन्नत यांत्रिक और विद्युत प्रणालियों वाला एक हाई मोबिलिटी वाहन है, जो संचालन के दौरान खदान क्षेत्र की मार्किंग के समय को कम करेगा और भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाएगा।
भारतीय सेना
BEML Ltd. के निदेशक (रक्षा और खनन एवं निर्माण) संजय सोम ने प्रेरण समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने इंजीनियर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अरविंद वालिया, DRDO के वैज्ञानिकों और भारतीय सेना के अधिकारियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की। DRDO के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म पंजाब के मैदानी इलाकों और राजस्थान के रेगिस्तानों, दोनों में 0 से 45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम करने में सक्षम है। यह विभिन्न इलाकों में काम करने की क्षमता के साथ भारतीय सेना को किसी भी परिस्थिति में परिचालन में एक बड़ा लाभ प्रदान करेगा।
देश की सुरक्षा और संप्रभुता
BEML ने गर्व के साथ कहा कि MMME Mk-II को भारतीय सेना में शामिल करना राष्ट्रीय रक्षा में उसका महत्वपूर्ण योगदान है। यह उपलब्धि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम है, जिससे देश की सुरक्षा और संप्रभुता और मजबूत होगी।
























