रंगभरी एकादशी पर होली का अनूठा संगम ब्रज और काशी में भक्तों ने उत्साहपूर्वक मनाया पर्व
रंगभरी एकादशी के शुभ अवसर पर, ब्रज और काशी की पावन धरती पर होली के रंग बिखर गए। इन धार्मिक स्थलों पर विशेष आयोजनों और परंपराओं के माध्यम से भक्तों ने उत्साहपूर्वक इस पर्व का आनंद लिया। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर, मथुरा: टेसू और केसर के रंगों की होली
मथुरा स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन किया गया। इस दिन मंदिर में गीली होली का आयोजन हुआ, जहां भक्तों ने टेसू के फूलों और केसर मिश्रित जल से होली खेली। बिहारी जी महाराज ने श्वेत वस्त्र धारण किए, और भक्तों ने अबीर-गुलाल के साथ उत्सव मनाया। इस आयोजन ने वृंदावन और ब्रज के सभी मंदिरों में होली उत्सव की शुरुआत की। काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी: रंगभरी एकादशी पर भव्य आयोजन
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में रंगभरी एकादशी के अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ होली खेलने की परंपरा है। इस दिन शिव जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है, और उन पर रंग, अबीर, और गुलाल चढ़ाया जाता है। भक्तों ने झूम-झूमकर होली खेली, और मंदिर परिसर में रंगों की फुहार में श्रद्धालु मग्न हो गए। काशी और ब्रज के बीच सांस्कृतिक संगम: उपहारों का आदान-प्रदान
इस वर्ष, काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान के बीच एक अनोखा संबंध स्थापित हुआ। रंगभरी एकादशी के अवसर पर दोनों पवित्र स्थलों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान किया गया, जिससे काशी और ब्रज के बीच सांस्कृतिक संगम देखने को मिला। रंगभरी एकादशी का महत्व: होली उत्सव की शुरुआत
रंगभरी एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जो वाराणसी में विशेष महत्व रखती है। इस दिन से होली खेलने का सिलसिला प्रारंभ होता है, और छह दिनों तक रंगों का उत्सव चलता है। भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के साथ होली खेलते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है।
परंपरा और उत्साह का संगम
ब्रज और काशी में रंगभरी एकादशी के अवसर पर होली उत्सव ने परंपरा और उत्साह का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। भक्तों ने धार्मिक स्थलों पर विशेष आयोजनों में भाग लेकर आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया, जो हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।