रक्षाबंधन पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष तैयारियां
रक्षाबंधन पर मंदिर परिसर को सजाया
वाराणसी में सावन का महीना अपने चरम पर है और इस साल सावन पूर्णिमा का पावन पर्व रक्षाबंधन के साथ मनाया जा रहा है। इसी खास मौके पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष तैयारियां की गई हैं। पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया है और बाबा विश्वनाथ के साथ माता पार्वती और प्रथमेश गणेश को भी झूले पर विराजमान कराकर भक्तों को दर्शन दिए जाएंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव
रक्षाबंधन के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में एक खास परंपरा का पालन किया जाता है, जिसे झूलनोत्सव कहा जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ एक सजे हुए झूले पर विराजमान कराया जाता है। यह अनूठा दृश्य भक्तों को साल में एक बार ही देखने को मिलता है। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर भक्ति के माहौल से गूंज उठता है।
श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर विशेष श्रृंगार
श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया है। महंत आवास से लाई गई रजत पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन किया गया और फिर उसे झूले पर स्थापित किया गया। इस विशेष श्रृंगार और पूजन में महंत परिवार के सदस्यों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ सभी अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। यह पारंपरिक झूलनोत्सव काशी की सदियों पुरानी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है।
विशेष स्वरूप के दर्शन
सावन का अंतिम दिन होने और रक्षाबंधन के पर्व के कारण बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। सुबह से ही श्रद्धालु लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। बाबा के इस विशेष स्वरूप के दर्शन से भक्त खुद को धन्य मान रहे हैं और सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
दर्शन करने से विशेष पुण्य
सावन पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। बाबा विश्वनाथ के झूले पर दर्शन करके भक्त इस शुभ अवसर को और भी खास बना रहे हैं। यह माना जाता है कि इस दिन बाबा के दर्शन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस
बड़ी संख्या में भक्तों के आने को देखते हुए मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग लगाई गई है और जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी भक्त आसानी से और सुरक्षित रूप से बाबा के दर्शन कर सकें।
























