विश्व धरोहर घना बना पक्षियों का स्वर्ग: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
विश्वविख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
इन दिनों हजारों नन्हे पक्षियों की चहचहाहट से सराबोर है, जिससे पूरा घना जीवंत हो उठा है। करीब 1800 पेंटेड स्टार्क पक्षियों ने यहाँ डेरा डाला है, जिनमें से 850 से अधिक जोड़ों ने नेस्टिंग की है। इन बच्चों का कलरव और डार्टर, कार्मोरेंट, आइबिस जैसी अन्य प्रजातियों का प्रजनन घना के स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र का प्रमाण है। मौसम बदलते ही विदेशी मेहमानों की आमद जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
पेंटेड स्टार्क के घोंसले
उद्यान के वृक्षों पर पेंटेड स्टार्क के 850 से अधिक घोंसले बन चुके हैं, जो केवलादेव को उनकी प्राकृतिक नर्सरी बनाते हैं। उद्यान निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इस बार करीब 1800 पेंटेड स्टार्क पहुंचे हैं। ये आकर्षक पक्षी, जो अपने सफेद-गुलाबी रंग और पीली चोंच के लिए जाने जाते हैं, झीलों के किनारे अपने बच्चों को दाना खिलाते हुए पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं। इनका कलरव और प्रजनन गतिविधि घना के पर्यावरण की अनुकूलता को दर्शाती है।
ब्लैक-नेक्ड स्टार्क
निदेशक मानस सिंह ने इस बार की एक और विशेष बात पर प्रकाश डाला, वह है ब्लैक-नेक्ड स्टार्क की बढ़ी हुई उपस्थिति। उन्होंने बताया कि सामान्यतः केवलादेव में इनकी संख्या तीन या चार ही रहती थी, किन्तु इस बार 11 ब्लैक नेक स्टार्क दिखाई दे रहे हैं। यह बढ़ोतरी वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से बेहद उत्साहजनक है। इन दुर्लभ पक्षियों की मौजूदगी स्पष्ट संकेत देती है कि केवलादेव का पारिस्थितिक तंत्र पहले से कहीं ज्यादा स्वस्थ और उनके लिए अनुकूल बन गया है।
स्नेक बर्ड डार्टर
इस प्रजनन मौसम में कार्मोरेंट (जलकौवा) और डार्टर (स्नेक बर्ड) की मौजूदगी ने भी उद्यान की सुंदरता बढ़ा दी है। निदेशक मानस के अनुसार, सैकड़ों की संख्या में कार्मोरेंट नजर आ रहे हैं। वहीं, अपनी लंबी, सर्पाकार गर्दन के कारण ‘स्नेक बर्ड’ कहे जाने वाले डार्टर के घोंसलों में भी नन्हे बच्चे दिखने लगे हैं। इन प्रजातियों का बड़ी संख्या में प्रजनन करना केवलादेव की आर्द्रभूमि की समृद्धि को साबित करता है, जो इनके लिए पर्याप्त भोजन और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करती है।
पक्षियों का स्वर्ग
केवलादेव के पास का जंगल भी इस दौरान पूरी तरह गुलजार है। नेचर गाइड तरुण सिंह ने जानकारी दी कि आइबिस, स्पूनबिल, हेरोन और ईग्रेट जैसी प्रजातियों ने भी बड़ी संख्या में प्रजनन किया है। झीलों के किनारे पेड़ों की डालों पर सैकड़ों घोंसले लटकते दिखाई दे रहे हैं, जिनसे नन्हे बच्चों की मासूम आवाजें निकल रही हैं। इसके साथ ही, घना के अंदर कुछ विदेशी पक्षियों का आगमन भी शुरू हो गया है, जिससे पक्षियों का यह स्वर्ग और अधिक रोमांचक हो गया है।
























