शांत क्षेत्र को अस्थिर करने की साजिश: लद्दाख आंदोलन
लद्दाख आंदोलन
भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में स्थित है लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन में अचानक हिंसा भड़क उठी। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर लद्दाख जैसे शांत क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश के पीछे किसका हाथ है। स्थानीय लोगों को इस घटना के पीछे बाहरी तत्वों की सुनियोजित साजिश का संदेह है।
पर्यावरणविद सोनम वांगचुक
आंदोलनकारी पिछले काफी समय से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें उठा रहे थे। इस आंदोलन की बागडोर प्रख्यात पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने संभाल रखी थी। वे अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे। गृह मंत्रालय ने उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए बैठक की तारीख 6 अक्टूबर से पहले कर दी थी, बुधवार को भी स्थिति पूरी तरह से शांत थी, लेकिन अचानक कुछ युवाओं ने आकर इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में खलल डाल दिया। यह घटना उस समय हुई, जब लद्दाख के नेताओं की केंद्रीय गृह मंत्रालय से बैठक तय हो चुकी थी। इस बैठक को लेकर एक सकारात्मक माहौल बन चुका था, क्योंकि पर्यावरणविद सोनम वांगचुक के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने 25 सितंबर को ही लद्दाख के प्रतिनिधियों को दिल्ली आने का न्योता दिया था। ऐसे में यह घटना और भी संदिग्ध हो जाती है। इस घटना ने लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेताओं को भी हैरान कर दिया।
लद्दाख लोक सेवा आयोग
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह घटना कुछ ऐसे लोगों ने की है, जो नहीं चाहते कि लद्दाख अपनी मांगों के शांतिपूर्ण हल के रास्ते पर आगे बढ़े। लेह निवासी ताशी के अनुसार, स्थानीय युवा शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे थे और हिंसा भड़काने का काम बाहरी तत्वों द्वारा किया गया।वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद से ही लद्दाख के निवासी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में स्थानीय युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां, अपनी जमीन और संस्कृति का संरक्षण और अलग लद्दाख लोक सेवा आयोग का गठन शामिल है।
























