शिबू सोरेन - संस्थापक झारखंड मुक्ति मोर्चा का 81 वर्ष की आयु में निधन
झारखंड की राजनीति शिबू सोरेन
झारखंड की राजनीति के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में सोमवार को निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
झारखंड राज्य का गठन
शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में आदिवासियों को संगठित कर की थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक के तौर पर उन्होंने झारखंड राज्य के गठन के लिए लंबा संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में चला यह आंदोलन आखिरकार सफल हुआ और साल 2000 में झारखंड एक अलग राज्य बना। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे।
समर्थकों और राजनेताओं में शोक
शिबू सोरेन लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी किडनी से जुड़ी बीमारी के कारण उन्हें दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत गंभीर थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। तमाम प्रयासों के बावजूद, डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके और उन्होंने सोमवार सुबह अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके समर्थकों और राजनेताओं में शोक की लहर दौड़ गई।
सोशल मीडिया के माध्यम से श्रद्धांजलि
शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। इसके अलावा, कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं ने भी उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
जंगल का नेता आदिवासी पहचान
शिबू सोरेन को उनके समर्थकों और जनता के बीच 'गुरुजी' और 'दिशोम गुरु' के रूप में जाना जाता था। 'दिशोम गुरु' का अर्थ होता है "जंगल का नेता"। यह नाम उनकी आदिवासी पहचान और उनके संघर्ष का प्रतीक था। वे हमेशा जनता के मुद्दों को उठाते थे, और उनकी सादगी ने उन्हें लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बनाया। उनका निधन राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक खालीपन छोड़ गया है।
वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
उनके निधन की खबर उनके पुत्र और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर दी, जिन्होंने लिखा कि 'आज मैं शून्य हो गया हूँ।' शिबू सोरेन का जाना झारखंड की राजनीति में एक ऐसे युग का अंत है, जिसने आदिवासी समुदाय के अधिकारों और राज्य के गठन के लिए दशकों तक संघर्ष किया। राज्य सरकार ने शिबू सोरेन के सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा की है।